मै आजाद कलम जब देश के तजा
हालत को देखते हुए कुछ लिखने की सोचता हूँ ! तो आपने संविधान के बारे में लिखने का
मन करता हे, क्यूकि आज भारत देश मे सब से ज्यादा संविधान की बात ही होती है, कोई संविधान
मे दिया गया अधिकार को ढूढने की कोशिश करता है, तो कोई संविधान मे दिया गए आरक्षण को ढूढने मे लगा रहेता है और अब तो संविधान मे दिया गया समानता का
अधिकार, बोलने की आजदी की बात ही नहीं होती है I अब संविधान मे दिया गए टोलरेंट और
इनटोलरेंट शब्दों की बड़ी जोरो से बात होती है I अब लोग संविधान मे ये देखने की कोशिश कर रहे है, की कहीं संविधान में भारत माता
की जय बोलना अनिवार्य तो नहीं है , मै आजाद कलम जब आपने आजाद विचारो को लिखने की
कोशिश करता हूँ तो लोगो की नजर से लगता है की संविधान हमारे देश की के महज एक किताब है, जिसको
समय –समय पर लोग आपने फायदे के लिये उपयोग करते रहेते है ! जब लोगो को आरक्षण चाहिए
होता हे तो लोग संविधान मे आरक्षण के अधिकार को ढूढने लगते है I तब उनको समानता का अधिकार नजर नहीं आता है और जब लोगो को भारत
माता की जय व वंदेमातरम् बोलोना नहीं होता है, तो वो बोलते है, की संविधान में भारत माता की जय बोलना
अनिवार्य नहीं है जो ठीक भी है, परन्तु फिर ये लोग संविधान मे दिया गया
अनुछेद 51a को क्यू भूल जाते है जिसमे देश के प्रति मूल कर्तव्यो को बताया गया है कोई भी अनुछेद 51a की थोड़ी
सी भी बात क्यू नहीं करता है मूल कर्तव्य--भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-- संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे; I संविधान मे दिया गया यह एक महत्वपूर्ण अनुछेद है पर दुःख
की बात तब होती है की जब पूरा संविधान कुछ अनुछेदो मे सिमट कर रहे जाता है ? हो सकता
हे की मेरे इन आजाद विचारो से बहुत लोग
असहमत हो परन्तु मे उन लोगों को याद दिलाना चाहता हूँ की ये सब लिखने का अधिकार
मुझे भी हमारे संविधान ने ही दिया हे संविधान को महज के एक किताब ना समझे ये वो हे
जिससे पूरा भारत चलता है संविधान को 26
जनवरी तक ही सीमित ना रखे !!!
ब्लॉग पड़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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